Sunday, July 18, 2010

"क्या लगती हो "

(एकदम original है, और फ़ोकट में पढने मिल रही है.... इसलिए पसंद आये या ना आये, दाद ज़रूर दीजियेगा :) )

पलकें उठें तो दिन, जुल्फें गिरे तो बारिश,
News channel पे मौसम की जानकारी का program लगती हो |

Party पे बाहर जाने के लिए जब बन-संवर के आती हो,
तो December के महीने में Gateway of India की शाम लगती हो |

Office से थक के घर आने पर जब प्यार से "ए जी" कहके बुलाती हो,
शाहरुख़ की film की mantinee show ticket का इंतज़ाम लगती हो |

गुस्से में तंतानाये हुए बड़ी-बड़ी आँखें दिखाती हो,
तो IIT-JEE में Mathematics का exam लगती हो |

मेरी आदतों से तंग आकर जब छोड़ जाने की धमकी देती हो,
तो निर्दोष मुजरिम पर लगाया हुआ झूठा इल्ज़ाम लगती हो |

आधी रात को जब अँधेरे में romantic गाने सुनाती हो,
तो विविध भारती पर चित्रमाला का program लगती हो |

और जब सामने बैठे घंटों मीठी-मीठी बातें करती हो,
तब क्या कहें, बस दिवाली पर दस-हज़ार लड़ी वाला bomb लगती हो ||

4 comments:

  1. KAMAAL HAI BAS KAMAAL HAI KASAM SE.......
    Kya likha hai, waise kahan se churaya zoozoo ????
    By d way its fab..
    Fantastic dear.
    Keep it up !!!

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  2. ha ha ha ha... sahi hai sir ji... college mein to aapka yeh roop nahi dekha... sahi hai... lage raho...

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  3. wahh wahh... Subhan Allaa... sahi hai bhai.

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