Saturday, December 7, 2013

ज़िंदा रहने की रस्म अभी जारी है


सुबह आँखें खुलते ही ख्वाब भूल जाने की,
राह चलते किसी अंजान को देख के मुस्कुराने की,
गाने आए या ना आये, रेडियो के साथ गुनगुनाने की,
और किसी भी बच्चे को रोता देख उसे चुप कराने की रस्म अभी जारी है,
ज़िंदा रहने की रस्म अभी जारी है...

 
किसी नकचढ़े अफसर के लिए काम करने की,
चंद कागज़ के टुकड़ों के लिए नींद हराम करने की,
'आज घर जल्दी आऊँगा' ये कह कर भी देर से आने की,
और दिनभर अपने बच्चों की बदमाशियाँ ना देख पाने की रस्म अभी जारी है,
ज़िंदा रहने की रस्म अभी जारी है...
 

शहर में एक आलीशान बंगला बनाने की,
माता-पिता को विदेश यात्रा पर भिजवाने की,
बहन को दहेज में बड़ी गाड़ी देने की,
और बीवी को अगले जन्मदिन पर हीरों का हार देने की कसम अभी जारी है,
ज़िंदा रहने की रस्म अभी जारी है....